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शुभमन गिल अगर 80* पर बदकिस्मत थे तो उस बल्लेबाज का क्या जो 98 पर रिटायर हर्ट हुआ,फिर कभी शतक नहीं बनाया

वर्ल्ड कप सेमीफाइनल न्यूजीलैंड के विरुद्ध- 65 गेंद पर 79* रन बना चुके थे शुभमन गिल और तब क्रैंप्स की शिकायत पर ग्राउंड के बाहर चले गए और स्कोर कार्ड में दर्ज हुआ- रिटायर हर्ट। गिल नॉट आउट थे और

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti November 23, 2023 • 09:00 AM
शुभमन गिल अगर 80* पर बदकिस्मत थे तो उस बल्लेबाज का क्या जो 98 पर रिटायर हर्ट हुआ, फिर कभी शतक नहीं ब
शुभमन गिल अगर 80* पर बदकिस्मत थे तो उस बल्लेबाज का क्या जो 98 पर रिटायर हर्ट हुआ, फिर कभी शतक नहीं ब (Image Source: Google)
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वर्ल्ड कप सेमीफाइनल न्यूजीलैंड के विरुद्ध- 65 गेंद पर 79* रन बना चुके थे शुभमन गिल और तब क्रैंप्स की शिकायत पर ग्राउंड के बाहर चले गए और स्कोर कार्ड में दर्ज हुआ- रिटायर हर्ट। गिल नॉट आउट थे और लौटे पर तब तक इतना समय ही नहीं था कि अपना 100 पूरा कर पाते। शुभमन गिल गेंद को अच्छी तरह से टाइम कर रहे थे और टूर्नामेंट में अपने पहले 100 की तरफ बढ़ रहे थे- आख़िरी स्कोर रहा 66 गेंद में 8 चौकों और 3 छक्कों की मदद से 80* का। अगर उन्हें 80* पर बदकिस्मत कह रहे हैं तो ज़रा उस बल्लेबाज के बारे में सोचिए जो 98* पर था और क्रैंप्स के कारण आगे न खेल पाया- सिर्फ एक स्ट्रोक से अपना 100 बना सकता था। उससे तो वह भी हुआ। 

ये बल्लेबाज हैं पाकिस्तान के एक जाहिद फजल और सबसे ख़ास बात ये है कि वर्ल्ड कप के संदर्भ में उन्हें पाकिस्तान का सबसे बदकिस्मत खिलाड़ी कहते हैं- वर्ल्ड कप विजेता टीम का खिलाड़ी होने के बावजूद उनके नाम का कहीं जिक्र नहीं होता। यहां जिस मैच की बात हो रही है वह 1991 का है और वहां भी एक और ऐसा प्रदर्शन हुआ जिसने फजल के 98* को पीछे धकेल दिया। इसीलिए उस वनडे को 18 साल के आकिब जावेद की हैट्रिक के लिए याद किया जाता है- न कि फजल के भारत के विरुद्ध 98* के लिए। और बदकिस्मती ये कि अपने वनडे करियर में आगे जो 12 मैच खेले उनमें कभी भी 100 के करीब नहीं पहुंचे। अगर उस 100 को बना लेते तो पता नहीं, उनका करियर रिकॉर्ड क्या होता? वनडे में 98* ही उनका सबसे बड़ा स्कोर रह गया।

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जाहिद फजल, दाएं हाथ के बल्लेबाज, जन्म 10 नवंबर 1973 को सियालकोट में और 1990 से 1995 के बीच 9 टेस्ट और 19 वनडे खेले। एक बेहद अच्छी टेलेंट वाले बल्लेबाज थे। फर्स्ट क्लास करियर 50 से शुरू किया और उस दौर में पाकिस्तान क्रिकेट में परंपरा थी कि टेलेंट है तो खिलाड़ी को कम उम्र में ही इंटरनेशनल क्रिकेट में खिला दो। ऐसा ही हुआ जाहिद के साथ और 1990 में न्यूजीलैंड के विरुद्ध तीसरे वनडे से इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया।

यहां जिस मैच की बात कर रहे हैं वह 25 अक्टूबर 1991 को विल्स ट्रॉफी फाइनल है शारजाह में भारत के विरुद्ध। जाहिद ने वहां 98* रन की हिम्मत वाली पारी खेली और पाकिस्तान को 23-2 के स्कोर से संभाला। किस्मत खराब थी कि डिहाइड्रेशन से इतनी खराब हालत हो गई कि अपना पहला 100 भी पूरा नहीं कर सके। हां, इसका इनाम ये मिला कि 1992 वर्ल्ड कप के लिए पाकिस्तान टीम में आ गए। पाकिस्तान ने वर्ल्ड कप जीता और इस जीत में जिस खिलाड़ी की किसी ने चर्चा न की वह जाहिद थे- जो 2 मैच खेले उनमें 13 रन बनाए। अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच 1995 में श्रीलंका के विरुद्ध खेला- सिर्फ 23 और 1 रन ही बनाए और इसके बाद कभी इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी न कर सके हालांकि 2004 तक फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलना जारी रखा।

पाकिस्तान ने उस मैच की जीत की बदौलत ट्रॉफी जीती- ये विल्स ट्रॉफी ट्रायंगुलर वनडे सीरीज का आख़िरी वनडे था। 7-37 के प्रदर्शन के साथ आकिब जावेद मैच पर छा गए और उस पर हैट्रिक भी दर्ज की- पाकिस्तान ने भारत को 262-6 के स्कोर के जवाब में सिर्फ 190 (संजय मांजरेकर 52) पर आउट कर 72 रन से मैच और विल्स ट्रॉफी को जीत लिया।

भारत ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी चुनी। पाकिस्तान के 2 विकेट जल्दी से 23 रन तक गिर गए थे। यहां से जाहिद फजल और सलीम मलिक ने तीसरे विकेट के लिए 171 रन की पार्टनरशिप की। जाहिद ने 119 गेंद में 9 चौकों और 1 छक्के की मदद से शानदार 98* रन बनाए और रिटायर हर्ट हो गए- हालत ये थी कि उन्हें स्ट्रेचर पर बाहर लाए थे। सलीम मलिक ने 87 रन बनाए और पाकिस्तान 50 ओवर में 262-6 के अच्छे स्कोर तक पहुंच गया- यह उस समय मैच जीतने वाला स्कोर था।

भारत के टॉप बल्लेबाज बड़े लक्ष्य का पीछा करने में नाकामयाब रहे- रवि शास्त्री 15, सिद्धू 21 रन और इनके बाद मोहम्मद अजहरुद्दीन और सचिन तेंदुलकर तो 0 पर आउट हुए। संजय मांजरेकर ने जरूर 69 गेंद में 52 रन बनाए पर आकिब जावेद की हैट्रिक सबसे बड़ी चर्चा रही- संजय मांजरेकर, मोहम्मद अज़हरुद्दीन और सचिन तेंदुलकर को आउट किया। आकिब जावेद, वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट में हैट्रिक लेने वाले 6 वें गेंदबाज बन गए। विनोद कांबली के 30 और किरण मोरे के 26 रन सिर्फ हार को कुछ देर के लिए टाल पाए और भारतीय बल्लेबाजी 200 रन भी न बना पाई। 

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इस तरह जाहिद फजल ने भारत के विरुद्ध वनडे फाइनल में 100 बनाने वाले कुछ पाकिस्तानी खिलाड़ियों में अपना नाम नहीं लिखाया पर ख़ास बात ये है कि उनकी 98* की ये पारी गुमनाम सी ही रह गई। उस दिन शारजाह में बड़ी गर्मी थी और वे उसी का शिकार हुए।  
 


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