ब्रांडी की बोतल पर हुई बातों ने क्रिकेट वर्ल्ड कप शुरू करा दिया था

Updated: Fri, Mar 04 2022 10:50 IST
Rachael Heyhoe Flint (Image Source: Google)

कहानी पहले महिला क्रिकेट विश्व कप की

एक और आईसीसी महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 2022 यानि कि दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमें पांच साल की तैयारी के बाद आख़िरी मुकाबले के लिए मैदान में।अभी भी ये मानने वालों की कमी नहीं कि जो व्यापारिक कामयाबी पुरुष क्रिकेट के वर्ल्ड कप को मिलती है - उसके मुकाबले में ये कुछ भी नहीं।

बहरहाल इस सवाल पर कोई ध्यान नहीं देता कि जब पुरुष क्रिकेट में 1975 में वर्ल्ड कप शुरू हुआ तो उसके लिए प्रेरणा कौन था? जवाब है- महिला क्रिकेट का वर्ल्ड कप जो उससे भी दो साल पहले खेला गया था।

अब अगला सवाल- महिला क्रिकेट के लिए भी किसने सबसे पहले इसके बारे में सोचा? बड़ा मजेदार है इसका जवाब।

1971 की बात है। ईस्टबोर्न में इंग्लैंड की महिला क्रिकेट कप्तान रेचल हेहो फ्लिंट, महिला क्रिकेट के शौकीन और उस समय के एक रईस जैक हेवर्ड के घर पर ठहरी हुई थीं। ब्रांडी की बोतल खुली हुई थी और चर्चा ये थी कि महिला क्रिकेट को कैसे और बेहतर किया जाए? उसी में जिक्र हुआ कि इसका वर्ल्ड टूर्नामेंट खेलो- फीफा के वर्ल्ड कप की तर्ज़ पर। उन सालों में महिला क्रिकेट मुफलिस हालत में थी- यहां तक कि क्रिकेटर खेलने का खर्चा खुद उठाती थीं। तो इसके लिए पैसा कहां से आएगा? हेवर्ड ने कहा कि अगर इंग्लैंड में हो ये वर्ल्ड कप तो वे खर्चे में मदद के लिए 40,000 पौंड की रकम देंगे। उस समय ये बहुत बड़ी रकम थी।

तो इस तरह पहला टूर्नामेंट 1973 में इंग्लैंड में आयोजित किया गया। मेजबानी का और कोई दावेदार था ही नहीं। वैसे शुरुआत बड़ी अशुभ थी- बारिश के कारण वर्ल्ड कप का पहला ही मैच (केव ग्रीन में) खेला नहीं जा सका था। कई जगह हेवर्ड का नाम इसके स्पांसर के तौर पर लिखा है। 14 जून 1973 को जब सभी टीमें मौजूद थीं तो खूबसूरत सिल्वर ट्रॉफी को भी पहली बार दिखाया गया। इसके बगल में हेवर्ड खड़े थे।

यह एक ऐसी विरासत की शुरुआत थी जो धीरे-धीरे आगे बढ़ती रही। मैच 20 जून और 28 जुलाई 1973 के बीच खेले गए। पहला वर्ल्ड कप इंग्लैंड ने जीता- 28 जुलाई को एजबेस्टन में ऑस्ट्रेलिया को फाइनल में हराया था।

इस वर्ल्ड कप की याद यहीं खत्म नहीं होती। दो और ऐसी बातें हैं जिनका जिक्र नहीं होता पर बड़ी मजेदार हैं।

फाइनल को बड़ी चर्चा मिली- मीडिया और ख़ास तौर पर टेलीविजन केमरों की मौजूदगी ने नजारा ही बदल दिया। साथ में फाइनल देखने रॉयल फेमिली से प्रिंसेस ऐनी आईं- ये सब देखकर इंग्लैंड टीम की कप्तान रेचल हेहो फ्लिंट एकदम घबरा सी गईं। अपने समय की टॉप बल्लेबाज लेकिन उस फाइनल में, घबराहट में उनकी हालत ये थी कि पहला रन बनाने के लिए चार ओवर ले लिए। उसके बाद वे संभलीं और 50 स्कोर किया और इंग्लैंड को टाइटल तक पहुंचाया। प्रिंसेस ऐनी ने उन्हें ट्रॉफी दी।

एक और रोमांचक क्षण ये था कि सभी टीमों के लिए 10, डाउनिंग स्ट्रीट में एक स्वागत समारोह आयोजित किया गया। ब्रिटिश पीएम का ऐसा आयोजन करना बहुत बड़ी बात थी तब- ब्रिटिश पीएम थे एडवर्ड हीथ। बड़े मीडिया की मौजूदगी ने इसे और रोमांचक बना दिया। वहां एक बड़ी मजेदार बात हुई।

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हर टीम, ब्रिटिश पीएम के लिए कोई न कोई तोहफा ले गई थी। इंग्लैंड की टीम एक क्रिकेट बैट ले गई थी जिस पर सभी खिलाड़ियों के ऑटोग्राफ थे। तोहफा देते हुए, पीएम के सामने हेहो-फ्लिंट घबरा गईं। असल में हेहो- फ्लिंट बहुत अच्छी सेलर (नाविक) भी थीं और हीथ तो सेलिंग के लिए मशहूर थे ही। तोहफा देते हुए वे ये भूल गईं कि वे क्रिकेट टीम के साथ हैं। पीएम को जब बैट भेंट दिया तो कह दिया- अगर वे सेलिंग कर रहे हों तो हवा न होने पर वह इसे पैडल के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। ये सुनते ही चारों ओर ठहाका लग गया।

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