इजाज बट: वो पाक क्रिकेटर जिसके कारण पाकिस्तान ने भारत के साथ 1987 वर्ल्ड कप की मेजबानी की थी

Updated: Fri, Sep 29 2023 09:17 IST
Former Pakistan Wicketkeeper And PCB Chairman Ijaz Butt Who played an important role in hosting the (Image Source: Google)

1987 Cricket World Cup: 1987 वर्ल्ड कप के मेजबान थे दो देश और आयोजन कामयाब बनाना था तो सबसे जरूरी था मेजबान देशों भारत और पाकिस्तान के बीच आपस में सहयोग। यही हुआ और इस संदर्भ में, तब के पीसीबी (PCB) सेक्रेटरी इजाज बट (Ijaz Butt) का क्रिकेट को जानना बड़े काम आया था- वे कप की आयोजन कमेटी में थे और क्रिकेट मामलों पर बीसीसीआई सीधे उनसे बात करता था। संयोग से 2023 क्रिकेट वर्ल्ड कप की चर्चा के इन दिनों में, उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। 

बड़ी अजीब बात ये है कि इजाज बट की बात करते हुए बोर्ड के लिए अलग-अलग पोस्ट पर किए उनके काम के जिक्र में कोई ये याद ही नहीं रखता कि वे 1959 और 1962 के बीच विकेटकीपर-बल्लेबाज के तौर पर 8 टेस्ट भी खेले- 279 रन बनाए जिनमें एक 50 था।1962 में इंग्लैंड टूर में केंट के विरुद्ध मैच में लंच से पहले 100 बना दिए थे। उन कुछ गिने-चुने क्रिकेटरों में से एक जो उन सालों में क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन में आए।

अगर ये उनकी तारीफ़ है तो एक क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर, कुल दौर देखें तो विवाद, झगड़े और मुश्किलें ज्यादा नजर आते हैं और इनके सामने 1987 वर्ल्ड कप में जो किया, किसी को याद भी न रहा। सबसे ख़राब बात ये कि वे 'दोगलेपन' के लिए बदनाम थे और जो उनके साथ हुआ- वह शायद ही किसी देश के क्रिकेट बोर्ड चीफ के साथ, किसी दूसरे देश ने किया हो। इसी किस्से की चर्चा करते हैं।   

सितंबर 2010 में ओवल में इंग्लैंड-पाकिस्तान वनडे इंटरनेशनल में पाकिस्तान की जीत के बाद इजाज बट ने इंग्लैंड पर इस वनडे को बर्बाद करने का आरोप लगाया- मैच को फिक्स कह दिया। इंग्लैंड के खिलाड़ियों पर मैच हारने के लिए 'भारी' रकम लेने का आरोप लगाया। जीत के लिए इंग्लैंड को 242 रन की जरूरत थी और एक समय वे 38 ओवर में 201-5 पर थे। तब भी वे 45.4 ओवर में 218 रन बनाकर आउट हो गए। इतना बड़ा आरोप और ये मामला इतना उछला कि दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंधों को टूटने के मुकाम पर पहुंचा दिया था।

मैच था 17 सितंबर को और दो दिन बाद इजाज बट ने एक टेलीविजन इंटरव्यू में कहा- ये पाकिस्तान के विरुद्ध साजिश है और वे इसमें शामिल लोगों के नाम भी बताएंगे। तब इंग्लैंड के कोच एंडी फ्लावर थे और वे इस विवाद की वजह से बने माहौल के खराब होने से टीम पर असर की बातें कर रहे थे। आईसीसी से सलाह के बाद, इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने खुद जांच की और कह दिया कि इंग्लैंड टीम के किसी भी खिलाड़ी पर स्पॉट फिक्सिंग में शामिल होने का शक गलत है।

बट कहते रहे ये साजिश है, पाकिस्तान क्रिकेट को धोखा दे रहे हैं और मीडिया इंग्लैंड का साथ दे रहा है। इन बातों से माहौल और बिगड़ गया। हर कोई चाह रहा था कि किसी तरह से ये सीरीज खत्म हो जाए।  इधर इंग्लैंड सख्त होता गया और बट बार-बार कहे जाने पर भी फिक्सिंग में शामिल खिलाड़ियों का नाम नहीं बता रहे थे। बात तब और बिगड़ी जब ईसीबी ने, उनके कोई नाम न बताने पर, मैच फिक्सिंग के गलत आरोप के लिए, उनसे माफी मांगने को कहा- धमकी दी कि माफी नहीं मांगी तो कोर्ट केस कर देंगे। ये सिर्फ कहा नहीं- इजाज बट को एक प्री-एक्शन नोटिस भी भेज दिया। कोर्ट में घसीटने की धमकी की बात बड़ी उछली। 

उस समय की अख़बारों में लिखा है कि बट ने ये सब 'ऊपर से आए आर्डर' पर किया- मजे की बात ये है कि उन के आरोप लगाने से कुछ ही घंटे पहले पाकिस्तान के स्पोर्ट्स मिनिस्टर इजाज जखरानी ने पीसीबी पर भ्रष्टाचार के खिलाफ 'कमजोर' होने का आरोप लगाया था। जब नोटिस आ गया तो बट घबरा गए और उन्होंने अपने आरोप से ही इनकार कर दिया। बीबीसी को एक इंटरव्यू में कहा- 'मैंने कोई आरोप नहीं लगाया है और न ही मेरे पास कोई सबूत है।'

ये एक किस्सा नहीं है उनके अजीब एक्शन का। सब जानते हैं कि पाकिस्तान में पीसीबी चीफ कैसे बनाए जाते हैं? प्रेसीडेंट आसिफ अली जरदारी ने 2008 में बट को पीसीबी चीफ बनाया था। तब भी जब प्रेसीडेंट जरदारी ने एक मीटिंग के दौरान उन्हें नेशनल टी20 चैंपियनशिप लाहौर से कराची ट्रांसफर करने को कहा तो उन्होंने इंकार कर दिया- साफ़ कहा ये संभव नहीं। वे उन विवाद में फंसने से कभी नहीं डरते थे जिन्हें डिप्लोमेटिक तरीके से निपटाया जा सकता था। इसीलिए पीसीबी के साथ जितने साल रहे- पूरा दौर विवादों से भरा था। मोहम्मद यूसुफ, यूनिस खान, शोएब मलिक, शाहिद अफरीदी और कामरान अकमल जैसे सीनियर खिलाड़ियों पर प्रतिबंध लगाया। लाहौर में श्रीलंका टीम पर आतंकी हमला होने के समय भी वही बोर्ड चीफ थे। सुरक्षा इंतजाम पर मैच रेफरी क्रिस ब्रॉड से उलझ गए और उनकी ये स्टेटमेंट कि हमले में कोई खिलाड़ी मरा तो नहीं- उन्हें और बदनाम कर गई। 

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इसीलिए जो अच्छे काम किए भी, वे सब भूल गए। अल्लाह उनकी रूह को सुकून बख्शे।  
 

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