Cricket Tales - हर टीम इंडिया क्रिकेटर ऑनरेरी डॉक्टरेट के लिए बेताब नहीं

Updated: Tue, Sep 13 2022 21:59 IST
Cricket Tales (Image Source: Google)

कुछ क्रिकेटर अपना नाम इस तरह से भी लिख सकते हैं : डा. सुरेश रैना, डा. सुनील गावस्कर, डा. एमएस धोनी और इसी तरह से डा. सौरव गांगुली। लिस्ट में और नाम भी हैं। इनमें से किसी के पास न तो एमबीबीएस की डिग्री है और न ही पीएचडी की- इन्हें नाम के साथ 'डॉक्टर' लिखने का हक़ ऑनरेरी डॉक्टरेट की डिग्री ने दिया। हाल के सालों में क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ी तो अलग-अलग यूनिवर्सिटी ने क्रिकेटरों को, क्रिकेट में उनके योगदान के लिए ऑनरेरी डॉक्टरेट की उपाधि का सम्मान देना शुरू कर दिया। इस समय, ये किस्सा सुरेश रैना को चेन्नई में ऑनरेरी डॉक्टरेट दिए जाने से चर्चा में आया है।

वीईएलएस इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी एंड एडवांस्ड स्टडीज (वेल्स यूनिवर्सिटी) ने आईपीएल की चेन्नई सुपर किंग्स के सबसे मशहूर क्रिकेटरों में से एक सुरेश रैना को ; बेंगलुरु की श्री सत्य साई यूनिवर्सिटी ने सुनील गावस्कर को ; एमएस धोनी को इंग्लैंड में लेस्टर की डी मोंटफोर्ट यूनिवर्सिटी और सौरव गांगुली को प्रतिष्ठित बंगाल इंजीनियरिंग एंड साइंस यूनिवर्सिटी (बीईएसयू) ने सम्मानित किया ऑनरेरी डॉक्टरेट की उपाधि से।

Cricket Tales - एशिया कप में भारत-पाकिस्तान के उस मैच में जो हुआ वैसा कभी नहीं हुआ

अब किस्सा ये है कि इन जैसे कुछ क्रिकेटरों ने ऑनरेरी डॉक्टरेट का सम्मान ले लिया पर कुछ क्रिकेटर ऐसे भी हैं जिन्होंने ये सम्मान लेने से इंकार कर दिया। एमएस धोनी को कभी यूनिवर्सिटी गए बिना, 'डॉक्टरेट' लेने से कोई एतराज नहीं था पर उन्हें है। इस लिस्ट में पहला नाम राहुल द्रविड़ का है। उन्होंने कम से कम दो बार ऑनरेरी डॉक्टरेट की डिग्री से इनकार किया- पहली बार गुलबर्गा यूनिवर्सिटी से और दूसरी बार 2017 में बैंगलोर यूनिवर्सिटी से।

वजह? राहुल द्रविड़ ने कहा कि वे यूं ही इतनी बड़ी डिग्री नहीं लेना चाहते- लेनी होगी तो इसके लिए वे पढ़ेंगे और खुद इसे हासिल करेंगे। राहुल द्रविड़ 2017 में भारतीय अंडर-19 टीम के कोच थे। तब उन्होंने कहा था कि खेल से जुड़े किसी टॉपिक पर रिसर्च और थीसिस को पूरा कर डॉक्टरेट हासिल करना चाहेंगे।

द्रविड़ का नजरिया बड़ा साफ़ है इस मामले में- 'मेरी पत्नी, जो सर्जन है, ने सात साल की लंबी पढ़ाई के बाद एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। मेरी मां ने भी पीएचडी की और अपनी रिसर्च के साथ डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। इन्हें देखते हुए मैं, कैसे यूं ही डॉक्टरेट ले सकता हूं?'

सितंबर 2018 में सचिन तेंदुलकर ने जादवपुर यूनिवर्सिटी से ऑनरेरी डॉक्टरेट लेने से इंकार कर दिया था। कोलकाता की यह यूनिवर्सिटी 24 दिसंबर को अपने 63वें कनवोकेशन में उन्हें 'डॉक्टरेट' की डिग्री से सम्मानित करना चाहती थी। यूनिवर्सिटी उन्हें डीलिट की डिग्री देना चाहती थी- तेंदुलकर ने उन्हें जवाब भेजा कि वह नैतिक कारणों से इसे स्वीकार नहीं कर पाएंगे।

सचिन ने तब ये भी कहा था कि वह किसी भी यूनिवर्सिटी से ऐसा कोई सम्मान स्वीकार नहीं लेते- यहां तक कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भी इस तरह की डिग्री देने का प्रस्ताव भेजा था। वजह फिर से वही- वे ऐसी डिग्री नहीं लेना चाहते जिसे अपनी कोशिश से हासिल नहीं किया। ये आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सचिन तेंदुलकर को, उनके लंबे करियर के दौरान, कई यूनिवर्सिटी ने ऐसी ऑनरेरी डिग्री का प्रस्ताव भेजा होगा। 2011 में सचिन के राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ साइंस के इस तरह के प्रस्ताव को न मानने का जिक्र तो रिकॉर्ड में है। सचिन तेंदुलकर भी, पढ़ाई के लिए कभी यूनिवर्सिटी नहीं गए।

TAGS

Related Cricket News

Most Viewed Articles