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बाबर के 196 रनों ने माइकल आथर्टन के 185* के 'ग्रेट एस्केप' की याद ताजा करा दी 

पाकिस्तान के कप्तान बाबर आजम ने कराची टेस्ट में 196 रनों की पारी खेली थी जिसने जोहान्सबर्ग में खेली माइकल आथर्टन की इनिंग की यादें ताज़ा कर दी हैं।

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti April 01, 2022 • 09:51 AM
Cricket Image for बाबर के 196 ने माइकल आथर्टन के 185* के 'ग्रेट एस्केप' की याद ताजा करा दी 
Cricket Image for बाबर के 196 ने माइकल आथर्टन के 185* के 'ग्रेट एस्केप' की याद ताजा करा दी  (Image Source: Google)
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कराची में बाबर आजम ने जो 196 रन बनाए, उन्हें अलग-अलग तरह से देखा जा रहा है। सबसे बड़ी बात- टेस्ट की चौथी पारी में इतना बड़ा स्कोर और टेस्ट बचाया। बाबर के 196 से चौथी पारी में सिर्फ 6 बड़े स्कोर हैं- सभी में दोहरा शतक बना। 603 मिनट तक बल्लेबाजी की। मजे की बात ये है कि जब चौथी पारी में, हालात को देखते हुए, हिम्मत वाली बल्लेबाजी की बात आई तो ज्यादातर जानकारों ने बाबर की तुलना, उनसे बड़ा स्कोर बनाने वाले से नहीं- कम स्कोर बनाने वाले एक बल्लेबाज से की।

 ये माइकल आथर्टन के 1995-96 में जोहान्सबर्ग में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध इंग्लैंड के लिए 643 मिनट में 185* रन थे। बाबर 425 गेंद खेले- सिर्फ आथर्टन (492) और सुनील गावस्कर (443) से कम।आथर्टन ने भी तब टेस्ट बचाया था। इंग्लैंड का 1995/96 का वह टूर बड़ा विवादास्पद था पर कई ख़ास बातें भी थीं और उन्हीं में से एक था द वांडरर्स में 'ग्रेट एस्केप'।

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सेंचुरियन में पहला टेस्ट बारिश से बर्बाद हो गया। द वांडरर्स, जोहान्सबर्ग में दूसरा टेस्ट- इसे आथर्टन (185*) और रसेल (29*) के अविश्वसनीय 277 मिनट के स्टैंड के लिए याद किया जाता है- इसी ने मैच बचा लिया था। रसेल ने रिकॉर्ड 11 कैच भी लपके थे टेस्ट में। यहां तक कि टीम कोच रे इलिंगवर्थ, जो पूरी सीरीज में आथर्टन से भिड़ते रहे- उन्होंने भी कम से कम आथर्टन की इस पारी की तारीफ़ की।  

यह आथर्टन का सबसे बड़ा टेस्ट स्कोर था, इंग्लैंड के लिए चौथी सबसे लंबी टेस्ट पारी- 643 मिनट : लेन हटन के 364 (797 मिनट) ; केन बैरिंगटन के  256 (683) और क्लाइव रैडली के 158 (648) के बाद। आज टी 20 ने टेस्ट में भी बल्लेबाजी की स्टाइल बदल दी है- इस नजरिए से आथर्टन ने बिलकुल अलग बल्लेबाजी की- पूरे आख़िरी दिन सिर्फ दो या तीन आक्रामक शॉट। ड्रेसिंग रूम में इतना तनाव था कि कोई अपनी जगह से भी नहीं हिला था और ग्राउंड के ब्रेक का ही इंतजार करते थे। और देखिए- इयान बॉथम ने आथर्टन से शर्त लगाई थी कि वह मैच नहीं बचा पाएंगे ! 

जोहान्सबर्ग चलते हैं। गैरी कर्स्टन के पहले टेस्ट शतक की बदौलत दक्षिण अफ्रीका ने 332 रन बनाए। जवाब में, इंग्लैंड 200 रन पर आउट। विकेट ने दूसरे दिन सीमर की मदद करना शुरू कर दिया था। दक्षिण अफ्रीका के सीम आक्रमण में तब व्हाइट लाइटनिंग एलन डोनाल्ड, युवा शॉन पोलक, मेयरिक प्रिंगल और ब्रायन मैकमिलन शामिल थे। क्लाइव एकस्टीन ने खब्बू  ऑर्थोडॉक्स गेंदबाजी की। टीम की मिली-जुली कोशिश से 132 रन की लीड मिली। आखिर में इंग्लैंड को आख़िरी दो दिनों में 165 ओवर में जीत के लिए 479 रन की चुनौती। दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों को देखते हुए, इंग्लैंड की जीत की तो बात ही नहीं हो रही थी- सिर्फ हार की ही बात थी। चौथे दिन स्कोर 167-4 था- आथर्टन 82* पर।

रॉबिन स्मिथ को डोनाल्ड ने आउट किया तो स्कोर 232 था। रसेल आए और टिक गए- एक ही इरादा था कि आथर्टन का साथ देना है। दक्षिण अफ्रीका के गेंदबाज आथर्टन को परेशान करते रहे- शरीर पर हिट किया कई बार पर वे ऐसे पक्के कि हिले ही नहीं और शांति से प्रोटियाज गेंदबाजी का सामना किया।

धीरे-धीरे दक्षिण अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोनए के आइडिया खत्म होने लगे और तेज गेंदबाज अपना जोश खोने लगे। जैसे-जैसे दिन का अंत करीब आ रहा था, इंग्लैंड का ग्रेट एस्केप संभव लग रहा था। 165 ओवर ख़त्म होने पर इंग्लैंड ने 351-5 बनाए थे और आथर्टन ने 492 गेंदों में 185* और रसेल ने 235 गेंदों में 29* रन बनाए। इस टेस्ट बचाने वाली कोशिश को आथर्टन के सबसे बेहतर टेस्ट के तौर पर याद किया जाता है- 185* रन ; पारी 643 मिनट की ; 492 गेंदों का सामना किया; और इस सब के बाद भी एक और लंबी इनिंग खेलने के लिए फिट नजर आ रहे थे। आथर्टन ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में जिस चेप्टर में इस टेस्ट का जिक्र किया उसका हेडिंग 'जोहान्सबर्ग' है- उनके नाम का जिक्र हो तो और कुछ बताने की जरूरत ही नहीं।  

आज जबकि इस पारी को खेले 36 साल से ज्यादा हो चुके हैं और क्रिकेट खेलने की स्टाइल बदल चुकी है तो उसमें ये सवाल पूछना गलत नहीं कि आथर्टन ने ये टेस्ट जीतने की कोशिश क्यों नहीं की- ठीक वैसे ही जैसे बाबर से ये सवाल पूछा जा रहा है। 5 सैशन में जीत के लिए 479 रन की जरूरत थी और 165 ओवर में 351-5 बनाए। गणित ये है कि जीत के लिए इंग्लैंड को तीन रन भी नहीं बनाने थे प्रति ओवर के हिसाब से। क्या विव रिचर्डस, एडम गिलक्रिस्ट, वीरेंद्र सहवाग या आज ऋषभ पंत ऐसी कोशिश नहीं करते? नया नजरिया ये है कि आज के युवा बल्लेबाज आथर्टन की इस कोशिश की तारीफ़ करेंगे पर ऐसा ही खेलने की कोई इच्छा नहीं दिखाेंगे। 1979 में अपने 221 के दौरान सुनील गावस्कर ने तब तक जीत के लिए बैटिंग की जब तक टेस्ट बचाना जरूरी नहीं हो गया था।

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इसमें कोई शक नहीं कि इस बदली सोच के लिए टी-20 जिम्मेदार है जहां 70 मिनट में 185 रन बनाने की मिसाल मौजूद है- आथर्टन को इसके लिए लगभग 11 घंटे लगे। खैर तुलना करना गलत होगा- उस दिन जो कोशिश आथर्टन ने की वह बेमिसाल थी !

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